चित्रकूट के घाट-घाट पर, शबरी देखे बाट - भजन चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा।। ** आप अपना हर तरह का फीडबैक हमें जरूर साझा करें, तब चाहे वह सकारात्मक हो या नकारात्मक: यहाँ साझा करें। ब्रह्म – कुल – वल्लभं, सुलभ मति दुर्लभं, विकट – वेषं, विभुं, https://shivchalisas.com